kabir prakat divash
कबीर साहेब प्रकट दिवस
गरीब, गोद लिया मुख चूम कर, हेम रूप झलकत।
जगर मगर काया करै, दमकै पदम् अनंत।।
जब परमेश्वर कबीर साहेब धरती पर सशरीर अवतरित हुए और पुण्यकर्मी दंपत्ति ने उनको गोद में लिया तो उनके शरीर की शोभा अद्भुत ही थी।
परमेश्वर कबीर जी का
प्रकट दिवस
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णिमा विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को कृषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू -नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधर। मोमन कू मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।।
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